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कैंटीन में सुना

‘मेरे मम्मी-पापा अलग हो रहे हैं’

मेहुल के मम्मी-पापा का डाइवोर्स होने वाला हैं और उसे लग रहा है कि उसका जीवन हमेशा के लिए बदलने वाला है। जब उसने अपने दोस्तों के साथ अपने डर को शेयर किया, तो प्रणव का अनुभव सुनकर उसे थोड़ी राहत महसूस हुई। प्रणव ने मेहुल से क्या कहा? आइए उनकी कैंटीन टॉक को सुनें।

वो डरावना शब्द

मेहुल (13) के मम्मी-पापा एक-दूसरे के साथ रहते तो हैं लेकिन हमेशा से ही उनके बीच लड़ाई-झगड़े होते रहे हैं। पिछली रात बहुत ज़्यादा तनाव भरी थी जब उसके पापा मम्मी से एक लड़ाई के बाद घर से बाहर चले गए और कहा कि वे तलाक के लिए फाइल करेंगे।

तलाक? वो अपने दिमाग से ये शब्द नहीं निकाल पाया और बस यही सोचता रहा कि उसके मम्मी-पापा अलग हो जाएंगे। वह डरा हुआ था कि उसका जीवन हमेशा के लिए बदलने वाला है।

मेरे मम्मी-पापा अलग हो रहे हैं

लोग क्या कहेंगे?

वह इस बात से भी चिंतित था कि वो अपने दोस्तों से क्या कहेगा। क्या वो उसको जज करेंगे? क्या वे उसके परिवार के बारे में बुरा सोचेंगे? कि उसके मम्मी-पापा बुरे लोग हैं?

वह ये सोच ही रहा था कि उसके दोस्त उससे बात करने लगे।

 “तुम खाना क्यों नहीं खा रहे हो मेहुल? क्या स्वाद पसंद नहीं आया?” अंश ने पूछा।

“ओह, माफ़ करना, मैं कुछ सोच रहा था”, मेहुल ने जवाब दिया।

“मेहुल, कुछ गड़बड़ है क्या? तुम कुछ दिनों से बहुत परेशान लग रहे हो”, साक्षी ने चिंता के साथ पूछा।

“नहीं नहीं, सब कुछ ठीक है यार। कुछ भी गड़बड़ नहीं है”, मेहुल ने जवाब दिया।

“तुम हमसे बात कर सकते हो, मेहुल। तुम बेहतर महसूस करोगे”, प्रणव ने सुझाव दिया।

“मैं इसके बारे में बात नहीं करना चाहता। मुझे पता है कि तुम सभी मुझे जज करोगे”, मेहुल ने कहा।

“हम तुम्हें कुछ भी शेयर करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं, लेकिन मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि हम तुम्हारे दोस्त हैं, चाहे जो भी हो और दोस्त जज नहीं करते हैं”, अंश ने कहा।

साक्षी ने कहा, “तुम जिस भी परेशानी से गुज़र रहे हो, हम तुम्हारी उसका सामना करने में मदद करंगे।”

“ठीक है, मैं तुम लोगों को बताता हूँ”, उसने थोड़ा झिझकते हुए कहा, “मेरे मम्मी-पापा … वे … एक-दूसरे को तलाक दे रहे हैं और मुझे नहीं पता कि इसके बारे में क्या करना है। मेरा जीवन हमेशा के लिए बदल जाएगा”, और जैसे ही उसने ये कहा, वो अपने आँसुओं को बहने से नहीं रोक पाया।

” अरे! तुम ठीक तो हो ना? ये तो बहुत बुरा हुआ। अब तुम क्या करोगे?” अंश ने कहा।

“बस करो अंश! ऐसे तो तुम उसे और भी डरा रहे हो। यह समय के साथ बेहतर होता जाएगा, मेहुल। मेरा विश्वास करो”, प्रणव ने कहा।

मैं समझता हूँ 

“मुझे नहीं पता। कल पापा ने घर छोड़ दिया और मैं तब से बहुत डरा हुआ हूँ। सब कैसे ठीक  होगा? मैं अब अपने मम्मी-पापा दोनों के साथ नहीं रह पाऊँगा। मेरे पास तुम्हारे जैसा परिवार भी नहीं रहेगा”, मेहुल ने रोते हुआ कहा।

“मेहुल, मैं समझता हूँ कि यह तुम्हारे लिए कितना मुश्किल होगा। मै भी इससे गुज़रा हूँ ”, प्रणव ने धीरे से कहा।

ये बात सुनकर एक मिनट के लिए पूरी तरह सन्नाटा छा गया क्योंकि प्रणव ये बात पहली बार शेयर कर रहा था। अंश और साक्षी थोड़े घबराए हुए लग रहे थे लेकिन मेहुल ने थोड़ी राहत महसूस की क्योंकि कम से कम कोई तो होगा जो सच में उसे समझेगा।

“सॉरी प्रणव। क्या तुम भी बहुत डर गए थे?” मेहुल ने पूछा।

“मुझे याद है कि शुरू में मुझे इस बात से ज्यादा डर लगता था कि बाकी सब मेरे परिवार के बारे में क्या सोचेंगे। मैं नहीं चाहता था कि मेरे आस-पास किसी को भी ये बात पता चले। लेकिन तुम सच में यह सुनिश्चित नहीं कर सकते। इसके बजाय, एक समय के बाद मैंने इस बात की परवाह करना बंद कर दिया कि दूसरे क्या कह रहे हैं क्योंकि उससे मैं और परेशान हो जाया करता था। तुम्हें इस बात की परवाह नहीं करनी चाहिए कि दूसरे क्या कहेंगे। मुझे पता है कि यह मुश्किल है पर कोशिश करो कि तुम उसके बारे में ना सोचो”, प्रणव ने जवाब दिया।

यह अंत नहीं 

“पर उनका अलग होना तुम्हारे लिए कितना मुश्किल था?” मेहुल ने पूछा।

“मैं तुमसे झूठ नहीं बोलूँगा। शुरू में ये सब मेरे लिए बहुत मुश्किल था। इसमें थोड़ा समय लगेगा पर धीरे धीरे सब बेहतर होने लगेगा। तुम भी धीरे धीरे ठीक महसूस करोगे और जो चीज़े तुम्हे शारीरिक और मानसिक तनाव देती हैं, सब दूर होने लगेंगी”, प्रणव ने जवाब दिया।

“लेकिन मैं अपने मम्मी-पापा से अलग नहीं होना चाहता। मैं उनमें से किसी के बिना नहीं रह सकता। मुझे उन दोनों की जरूरत है ”, मेहुल ने कहा और एक बार फिर उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।

“मुझे पता है कि यह कठिन है मेहुल। लेकिन उन्हें अलग करने का मतलब यह नहीं है कि तुम उन्हें खो दोगे। मेरे केस में, मेरे मम्मी-पापा मेरी बहन और मुझे अब ज़्यादा और अच्छे से समय देते हैं। मुझे तो लगता है कि वो अब अलग होने के बाद हमे पहले से भी ज़्यादा समय दे पाते हैं। पर ज़रूरी नहीं सबके साथ ऐसा ही हो। पर तुम्हे अभी उम्मीद नहीं खोनी चाहिए”, प्रणव ने प्यार से समझाया। 

मेहुल ने सर हिलाया पर उसे अभी भी उस पर पूरा भरोसा नहीं हुआ था।

बस थोड़ा सा वक़्त 

प्रणव ने फिर कहा, “मुझे याद है कि मैंने सोचा था कि मैं कभी एडजस्ट पाऊँगा। पर जब तुम इस नेगेटिव वातावरण से बाहर आओगे तो तुम्हे एहसास होगा कि अब क्योंकि तुम्हारे मम्मी-पापा नहीं लड़ रहे हैं, तुम्हारे लिए भी बेहतर महसूस करना आसान होता जा रहा है।”

“सब ठीक हो जायेगा। मुझ पर विश्वास करो। बस इसे थोड़ा समय दो”, उसने कहा।

“हाँ, मुझे यकीन है कि सब ठीक हो जाएगा। भले ही अभी ऐसा महसूस नहीं हो रहा हो ”, साक्षी ने मेहुल को कस के गले लगाते हुए कहा।

“और हम सब यही हैं तुम्हारा साथ देने के लिए। तुम हमसे कभी भी बात कर सकते हो”, अंश ने मेहुल का कंधा थपथपाया।

जैसे ही घंटी बजी, सभी वापस क्लास की और चल दिए और मेहुल उनके बीचो बीच। मेहुल को अब थोड़ा हल्का महसूस कर रहा था। वह अपने मम्मी-पापा के तलाक के बारे में अभी भी बहुत परेशान था। लेकिन वह शुक्रगुज़ार भी था की जो भी हो, उसके दोस्त उसका साथ देंगे।

बस थोड़ा सा वक़्त

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